hum एक सामाजिक संगठन है जो ब्राह्मण समुदाय के विकास और समृद्धि के लिए काम करता है।

इस महासभा का विजन और मिशन समुदाय के सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक उत्थान को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है। यहां हम इस महासभा के विजन और मिशन को विस्तार से विचार करेंगे।

वे शिक्षा, ध्यान, और आध्यात्मिक अध्ययन के क्षेत्र में अपनी प्रवीणता के लिए प्रसिद्ध हैं। इस समुदाय की संरचना में वेदों का अध्ययन और उनकी अनुष्ठानिक शिक्षा महत्वपूर्ण होती है।

ब्राह्मण समाज में श्रेष्ठता, आदर्शता, और शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उनका धर्म और आचरण विशेष ध्यान आकर्षित करता है और उन्हें समाज में गणनीय स्थान प्राप्त होता है।

खाटू श्याम जी

जिन्हें श्री श्याम बाबा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक प्रसिद्ध देवता हैं। इनका मुख्य मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गाँव में स्थित है। खाटू श्याम जी को कलियुग के आराध्य देव माना जाता है, और उनके भक्तों का विश्वास है कि वह अपने अनुयायियों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

खाटू श्याम जी का संबंध महाभारत के वीर योद्धा, श्रीकृष्ण के परम भक्त, बर्बरीक से है। बर्बरीक, महाबली भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र थे, जो त्रिकालदर्शी और महावीर माने जाते थे। उनके पास ऐसी दिव्य शक्तियाँ थीं कि महाभारत के युद्ध को अकेले ही समाप्त कर सकते थे। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे उनकी भक्ति और दानशीलता की परीक्षा लेने के लिए उनका सिर मांग लिया। बर्बरीक ने बिना किसी संकोच के अपना सिर श्रीकृष्ण को दान कर दिया। श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में वह "श्याम" नाम से पूजे जाएंगे, और जो भी सच्चे मन से उनकी आराधना करेगा, उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण होंगी।

खाटू श्याम जी का मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है और लाखों श्रद्धालु यहाँ हर साल दर्शन के लिए आते हैं। फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन यहाँ बड़े मेले का आयोजन होता है, जिसे श्याम बाबा का वार्षिक उत्सव माना जाता है। भक्तजन इस दिन विशेष पूजा, कीर्तन और भजन करते हैं।

भक्तगण श्याम बाबा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। खाटू श्याम जी की भक्ति में समर्पित लोग यह मानते हैं कि उनकी पूजा से सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में नए मार्ग प्रशस्त होते हैं।

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